उज्जैन। भारत को हिंदुस्तान बनाना है तो कम से कम चार संतान होना चाहिए। आज आधा उत्तरप्रदेश चला गया है। आधा बंगाल जूझ रहा है। असम में जिनके पास कोई पासपोर्ट वीजा नहीं है, वहां रह रहे है। आज से 25 साल पहले हम 2 करोड़ थे, फिर हुए 9 करोड़, अब हो गए हैं 38 करोड़। वो दिन दूर नहीं हिंदुस्तान इंडोनेशिया हो जाए। इंडोनेशिया में रामलीला टिकिट से देखी जाती है। इंडोनेशिया में कई जगह ऐसी हैं जहां भगवान का नाम ले लिया जाए तो काटकर फैंक दिया जाता है। यह बात महामंडलेश्वर प्रेमानंद ने कही। स्वामी प्रेमानंद ने कथा में गोवर्धन पूजा की कथा सुनाई। इस दौरान भगवान के नामकरण, माखन चोरी की लीला सुनाई। महाराजश्री ने कहा सनातन संस्कृति को अगर बचाना है तो माताओं को क्षत्राणी बनना होगा। हिंदू धर्म को बचाना है। महामंडलेश्वर ने कहा भगवान ने हर लीला से शिक्षा दी है। राम जी के आचरण से और कृष्ण की लीलाओं से हमें सीख लेना चाहिए। बलराम एवं कृष्ण के नामकरण की कथा सुनाते हुए महाराजश्री ने कहा माताएं अब गोबर को हाथ नहीं लगाती। महामंडलेश्वर ने कहा कि मंत्र, मूर्ति, माला गुप्त है। इसीलिए मंत्र कान में देते है। जो ईष्ट की मूर्ति है उसे ध्यान में रखें मंत्र और मूर्ति किसी को न कहें। माला का भी विधान है। भगवान की माला करो तो रूद्राक्ष की। माता की कमलगट्टे की माला, कृष्ण की करना हो तो तुलसी की माला करो। माला में जो सुमेरू होता है। गुरू, संत भगवान की निंदा करता है। उसके जीवन की उल्टी गिनती चालू हो जाती है। स्वामी प्रेमानंद महाराज ने कहा कि थोड़ा सा पैसा, वैभव आ जाता है, तो आदमी-आदमी को भूल जाता है। नारायण वहां है जहां प्रसन्नता है। जहां प्रेम है वहीं परमात्मा हैं। लक्ष्मी से एक हजार गुना सुंदर है दरिद्रता।

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