उज्जैन। शिप्रा के घाटों का निर्माण होगा।: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर शिप्रा में निरंतर जल
प्रवाह के लिए कार्ययोजना बनाई गई है। सिंहस्थ में यह काम आएगीी। इसके लिए बैराजों के निर्माण के कार्य हाथ में लिए जाएंगे। कान्ह के प्रदूषण को रोका जा सकेगा।
घाटों के निर्माण में लगने वाले पत्थर और अन्य सामग्री का चयन भी विशेषज्ञों द्वारा किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस संबंध में अधिकारियों और अभियंताओं को ध्ययन और शोध के लिए कहा है।
श्रद्धालुओं को आचमन और स्नान में नहीं होगी कोई असुविधा
शिप्रा में जल को प्रदूषण मुक्त करने के बाद श्रद्धालुओं को आचमन और स्नान में कोई असुविधा नहीं होगी। कान्ह पर 11 और शिप्रा में 18 बैराजों के निर्माण और क्षिप्रा पर स्नान के बेहतर प्रबंध के लिए घाटों के निर्माण तथा विकास के निर्देश दिए गए। शिप्रा में सेवरखेड़ी बैराज से मानसून के समय जल का उद्वहन करते हुए 51 मि.घ.मी. जल, पूर्व निर्मित सिलार खेड़ी जलाशय में भरे जाने की व्यवस्था की जाएगी। । श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों को किसी असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा। शिप्रा पर प्रस्तावित 18 बैराज का निर्माण उज्जैन, इंदौर औरदेवास जिले में किया जाना है। प्रस्तावित कार्ययोजना के अनुसार शनि मंदिर से वीआईपी. घाट तक 15सौ मीटर,, जीवनखेड़ी ब्रिज तक 7175 मीटर, , जीवनखेड़ी ब्रिज से वाकणकर ब्रिज तक 3810,, वाकणकर ब्रिज से गऊघाट स्टॉपडेम तक 2938 मीटर, चक्रतीर्थ से ऋणमुक्तेश्वर ब्रिज तक 1590 मीटर, भर्तृहरि गुफा और सिद्धवट से नागदा बायपास तक 11442 मीटर और शनि मंदिर से गोठडा बैराज तक 760 मीटर इस तरह कुल लगभग 29 हजार 215 मीटर की लम्बाई में घाट बनेगे।