उज्जैन। जिला आयुष अधिकारी डॉ मनीषा पाठक के निर्देशन में आयुर्वेद औषधालय घटिया ने माध्यमिक विद्यालय ग्राम डाबरी में आयुर्वेद चिकित्सा शिविर लगाया। प्रधानाध्यापक लाल सिंह खींची, डॉ. जितेंद्र जैन एवं डॉ. शिखा झींजोरिया ने 62 छात्र-छात्राओं का परीक्षण किया। शिविर के दौरान वर्षा ऋतुचर्या के बारे में बताया। आदान काल में मनुष्यों का शरीर अत्यंत दुर्बल रहता है। वातावरण में आद्रता में वृद्धि से शरीर में भी आद्रता की वृद्धि होती है। इस कारण पाचन शक्ति में कमी हो जाती है। इस ऋतु में भूमि से भाप निकलने, आकाश से जल बरसने तथा जल का अम्ल विपाक होने के कारण वातादी दोषों का प्रकोप हो जाता है। वर्षा में खाने-पीने की वस्तुओं का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। वर्षा ऋतु में घी-तेल से युक्त नमकीन एवं खट्टे व्यंजनों आदि का उचित मात्रा में भूख के अनुसार सेवन करें। पुराने जौ एवं गेहूं से निर्मित रोटी व अन्य व्यंजनों का प्रयोग करें। पुराने चावलों का सेवन करें। करेला, परमल, गिलकी की सब्जी एवं मूंग की दाल का सेवन करना चाहिए। आयुर्वेदिक चिकित्सक के निर्देशानुसार बस्ती कराए। वर्षा ऋतु में सामान्यतः मलेरिया, टाइफाइड, दस्त लगना, त्वचा रोग, श्वास रोग, मौसमी बुखार आदि बढ़ते हैं। अपने हाथ साफ रखें। रात में सोने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें। उबालकर ठंडा किया हुआ स्वच्छ पानी का सेवन करें। कूलर या आसपास पानी न भरा रहने दे। अपने घर के आसपास गंदगी ना रहने दे। वर्षा काल में अधिक पैदल चलना, धूप का सेवन, व्यायाम एवं सत्तू का सेवन, पत्तेदार सब्जियां वर्षा ऋतु में निषेध है। शिविर में विद्यालय के अध्यापक प्रेम नारायण डाबी, रमेश चंद बारोड, कमला अग्रवाल, संजू सोलंकी, प्रमोद शर्मा, योगेंद्र नागर का विशेष सहयोग रहा।