उज्जैन। हास्य का बड़ा नाम कर गए, ओम जी, कुछ लोग तो जन्म जात सुमड़े थे, उनको भी हँसा गए ओम जी, ठहकों की सुनामी लहर था ओम व्यास ओम। अंतर राष्ट्रीय कवि दिनेश दिग्गज ने व्यास को हास्यांजलि देते हुए कहा कि ना हो दीवार तो ये खिड़कियाम क्या काम आएगी, ना हो  इजहार तो चीठ्ठियां क्या काम आएगी, अगर जो पढ़ नहीं पाए किसी की आँख के आँसू, तुम्हारे नाम की ये डिग्रियां किस काम आएगी। देवास के कुलदीप रंगीला, सूत्रधार स्वामी मुस्कुराके शैलेंद्र व्यास थे। व्यंग्यकार मुकेश जोशी, प्रेमसिंह यादव, दिनेश  विजयवर्गीय दयावान मौजूद थे। कवि सुरेंद्र सर्किट, अशोक भाटी, संजय व्यास, नरेंद्र सिंह अकेला, संतोष सुपेकर, स्वामी दिल मिलाके, अनिल बारोड, अजय टिक्कु, प्रो. रवि नागाईच, अनिल पांचाल सेवक, शशांक दुबे, जितेंद्र सिंह कुशवाह, गुड्डन खान, उमेश गुप्ता राकेश चौहान, अजीत पोरवाल, राजेंद्र सिंह चौहान, अजय आगरकर, अंकित मुथा, अनिल चावंड, मानसिंह टाटक, शेषमल कछवाय आमंत्नित किए गए थे।

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